Wednesday, 9 May 2012

475_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चित्त में और व्यवहार में जितनी चंचलता होगी, जितनी अज्ञानियों के बीच घुसफुस होगी, जितनी बातचीत होगी उतना अज्ञान बढ़ेगा। जितनी आत्मचर्चा होगी, जितना त्याग होगा, दूसरों के दोष देखने के बजाय गुण देखने की प्रवृत्ति होगी उतना अपने जीवन का कल्याण होगा।
Pujya Asharam Ji Bapu 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.