Monday, 26 March 2012

345_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बनता बिगड़ता तुम्हारा शरीर है, बनता बिगड़ता तुम्हारा मन है, बनता बिगड़ता तुम्हारा भाव है लेकिन तुम्हारा स्वरूप, तुम्हारा आत्मा कभी बनता बिगड़ता नहीं।
 Pujya Asharam Ji Bapu

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