312_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जौ न तरै भवसागर नर समाज अस पाई।
सो कृत निन्दक मन्दमति आतमहन अधोगति जाई।
मानव तन पाकर जो भवसागर नहीं तरता वह क्या कुत्ता होकर तरेगा? बिल्ला होकर तरेगा? गधा होकर तरेगा कि घोड़ा होकर तरेगा? इन योनियों में तो डण्डे ही खाने हैं।
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