Monday, 12 March 2012

298_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


 यदि तू निज स्वरूप का प्रेमी बन जाये तो आजीविका की चिन्ता, रमणियों, श्रवण-मनन और शत्रुओं का दुखद स्मरण यह सब छूट जाये |
उदर-चिन्ता प्रिय चर्चा
विरही को जैसे खले |
निज स्वरूप में निष्ठा हो तो
ये सभी सहज टले ||

Pujya asharam ji bapu

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