Thursday, 8 March 2012

290_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चिन्ता उन्हीं की होती है जिनके पास ठीक चिन्तन नहीं है। शरीर की आवश्यकता पूरी करने के लिए पुरूषार्थ करना हाथ-पैर चलाना, काम करना, इसकी मनाही नहीं है। लेकिन इसके पीछे अन्धी दौड़ लगाकर अपनी चिन्तनशक्ति नष्ट कर देना यह बहुत हानिकारक है।
निश्चिन्त जीवन कैसे हो ?
निश्चिन्त जीवन तब होता है जब तुम ठीक उद्यम करते हो। चिन्तित जीवन तब होता है जब तुम गलत उद्यम करते हो। लोगों के पास है वह तुमको मिले इसमें तुम स्वतन्त्र नहीं हो। तुम्हारा यह शरीर अकेला जी नहीं सकता। वह कइयों पर आधारित रहता है। तुम्हारे पास जो है वह दूसरों तक पहुँचाने में स्वतन्त्र हो। तुम दूसरे का ले लेने में स्वतंत्र नहीं हो लेकिन दूसरों को अपना बाँट देने में स्वतंत्र हो। मजे की बात यह है कि जो अपना बाँटता है वह दूसरों का बहुत सारा ले सकता है। जो अपना नहीं देता और दूसरों का लेना चाहता है उसको ज्यादा चिन्ता रहती है।
Pujya asharam ji bapu 

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