Saturday, 14 January 2012

139_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सामवेद का छान्दोग्य उपनिषद् कहता है कि जिस आनंद को तू खोज रहा है वह आनंद तू ही है। तत्त्वमसि। वह तू है। तू पहले आनंदस्वरूप आत्मा था अथवा भविष्य में होगा ऐसी बात नहीं, अभी भी तू वही है। यह वेदवचन का आखिरी फैसला है। आध्यात्मिक जगत के जाने-माने शास्त्र, पुराण, बाइबिल, कुरान आदि सब बाद में हुए हैं और किसी न किसी व्यक्ति के द्वारा रचे गये हैं, जबकि वेद अनादि काल से हैं- तत्त्वमसि। वह तू है। उस आनंदस्वरूप सच्चिदानंदघन विश्वचैतन्य और तुझमें कोई भेद नहीं।
Pujya asharam ji bapu

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