Friday, 6 January 2012

109_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

प्राणिमात्र में परमात्मा को निहारने का अभ्यास करके शुद्ध अन्तःकरण का निर्माण करना यह शील है। यह महा धन है। स्वर्ग की संपत्ति मिल जाय, स्वर्ग में रहने को मिल जाय लेकिन वहाँ ईर्ष्या है, पुण्यक्षीणता है, भय है। जिसके जीवन में शील होता है उसको ईर्ष्या, पुण्यक्षीणता या भय नहीं होता। शील आभूषणों का भी आभूषण है।
 Pujya asharam ji bapu

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