Wednesday, 23 November 2011

चालू व्यवहार में से एकदम उपराम होकर दो मिनट के लिए विराम लो | सोचो कि मैं कौन हूँ ? सर्दी-गर्मी शरीर को लगती है | भूख-प्यास प्राणों को लगती है | अनुकूलता-प्रतिकूलता मन को लगती है | शुभ-अशुभ एवं पाप-पुण्य का निर्णय बुद्धि करती है | मैं न शरीर हूँ, न प्राण हूँ, न मन हूँ, न बुद्धि हूँ | मैं तो हूँ इन सबको सत्ता देने वाला, इन सबसे न्यारा निर्लेप आत्मा |’
Pujya asaram ji bapu :-
 

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