Sunday, 20 November 2011
अगर तुम सर्वांगपूर्ण जीवन का आनन्द लेना चाहते हो तो कल की चिन्ता को छोड़ो। कल तुम्हारा अत्यन्त आनन्दमय होगा, यह
दृढ़
निश्चय रखो। जो अपने से अतिरिक्त किसी वस्तु को नहीं जानता, वह
ब्रह्म
है। अपने
ख्यालों
का विस्तार ही जगत है।
Pujya asaram ji bapu :-
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