Monday, 17 October 2011
जो मोक्ष है तू चाहता
,
विष सम विषय तज तात रे।
आर्जव क्षमा संतोष शम दम
,
पी सुधा दिन रात रे॥
संसार जलती आग है
,
इस आग से झट भाग कर।
आ शांत शीतल देश में
,
हो जा अजर
!
हो जा अमर
!!
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