Monday, 31 October 2011
अमानमत्सरो दक्षो निर्ममो दृढ़सौहृदः।
असत्वरोऽर्थ जिज्ञासुः अनसूयुः अमोघवाक्।।
'
सत्शिष्य मान और मत्सर से रहित, अपने कार्य में दक्ष, ममता रहित, गुरू में दृढ़ प्रीतिवाला, निश्चलचित्त, परमार्थ का जिज्ञासु, ईर्ष्या से रहित और सत्यवादी होता है।
'
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.