Tuesday, 18 October 2011

 किसी भी प्रसंग को मन में लाकर हर्ष-शोक के वशीभूत नहीं होना  |  मैं अजर हूँ…, अमर हूँ…, मेरा जन्म नहीं…, मेरी मृत्यु नहीं…, मैं निर्लिप्त आत्मा हूँ…,’ यह भाव दृढ़ता से हृदय में धारण करके जीवन जीयो | इसी भाव का निरन्तर सेवन करो  | इसीमें सदा तल्लीन रहो
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य  संत श्री आसारामजी बापू   :-

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