Friday, 24 February 2017
1582-Pujya Asaram Bapu Ji | प्रतीति में प्राप्ति का भ्रम
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प्रतीति में प्राप्ति का भ्रम- बापूजी
कोई भी देहसे तादात्म्य कर अपनी स्वतन्त्र सत्ता सिद्ध नहीं कर सकता, और अपनेको देहसे अलग
मानकर किसीको भी अपने लिये संसारसे कुछ प्राप्त नहीं हुआ। तो फिर मानना ही होगा कि प्रतीति में
प्रवृत्ति तो होती है, पर प्राप्ति कुछ नहीं होती।
Tuesday, 21 February 2017
1581-Pujya Asaram Bapu Ji | मंगलमय विधान
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मंगलमय विधान- Bapu ji
जब व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि जो कुछ हो रहा है, वह मंगलमय विधान से हो रहा है,
तब प्रत्येक परिस्थिति में वह निश्चिन्त तथा निर्भय रहता है।
Monday, 20 February 2017
1580-Pujya Asaram Bapu Ji | विचारशील व तत्वदर्शी बने
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विचारशील व तत्वदर्शी बने- Bapu ji
जिस समय अपने दोष का दर्षन हो जाय, समझ लो कि तुम जैसा विचारशील कोई नहीं। और जिस
समय परदोष दर्षन हो जाय, उस समय समझ लो कि हमारे जैसा कोई बेसमझ नहीं।
Wednesday, 8 February 2017
1579-Pujya Asaram Bapu Ji | अगर साधन मे गति चाहते हो
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अगर साधन मे गति चाहते हो-Bapuji
न्याय अपने प्रति तथा प्रेम एवं क्षमा दूसरों के प्रति करना है। यदि हम ऐसा न करेंगे तो न निर्दोष
हो सकेंगे और न निर्वैर।
Monday, 6 February 2017
1578-Pujya Asaram Bapu Ji | अगर सफल होना है
अगर सफल होना है -Bapu ji
ज्ञानपूर्वक अनुभव करो कि मैं किसी भी काल में देह नहीं हूँ
और न देह मेरा है। आस्था श्रद्धा विश्वास पूर्वक
स्वीकार करो कि अपने में अपने प्रेमास्पद परमेश्वर सदैव
मौजूद हैं। बस, यही सफलताकी कुंजी है।
Saturday, 4 February 2017
1577-Pujya Asaram Bapu Ji | रुचि पूर्त्तिका साधन नहीं है यह शरीर हमारी
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रुचि पूर्त्तिका साधन नहीं है यह शरीर हमारी -Bapu ji
जो लोग यह सोचते हैं कि शरीर हमारी रुचि पूर्त्तिका साधन है, वे कभी भी शांति
नहीं पाते। उनको कहीं भी, कभी भी शांति नहीं मिलती। शरीर है सेवा सामग्री।
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