कपट का आश्रय लेने से अंतःकरण मलिन होता है और सत्य का आश्रय लेने से अंतःकरण में सिंह जैसा बल आ जाता है। अतः कर्म में पुरुषार्थ और विवेक के साथ सच्चाई को सदैव साथ रखो।
क्या तुमने आज किसी की कुछ सेवा की है? यदि नहीं तो आज का दिन तुमने व्यर्थ खो दिया। यदि किसी की कुछ सेवा की है तो सावधान रहो, मन में कहीं अहंकार न आ जाय।
कभी भी कोई भी कार्य
आवेश में आकर न करो।
विचार करना चाहिए कि
इसका परिणाम क्या होगा?
गुरुदेव अगर सुनें या जानें तो
क्या होगा? विवेकरूपी चौकीदार
जागता रहेगा तो बहुत सारी
विपदाओं से, पतन के प्रसंगों से
ऐसे ही बच जाओगे।