सरलता, स्नेह, साहस, धैर्य, उत्साह एवं तत्परता जैसे गुणों से सुसज्जित तथा दृष्टि को 'बहुजनहिताय.... बहुजनसुखाय....' बनाकर सबमें सर्वेश्वर को निहारने से ही आप महान बन सकोगे।
जिसके जीवन में
समय का मूल्य नहीं,
कोई उच्च लक्ष्य नहीं, उसका
जीवन बिना स्टियरींग की गाड़ी
जैसा होता है। साधक अपने
एक-एक श्वास की कीमत
समझता है, अपनी हर चेष्टा का
यथोचित मूल्यांकन करता है।
हिलनेवाली, मिटनेवाली
कुर्सियों के लिए छटपटाना
एक सामान्य बात है, जबकि
परमात्मप्राप्ति के लिए छटपटाकर
अचल आत्मदेव में स्थित होना
निराली ही बात है।
यह बुद्धिमानों का काम है।