कठिनाईयों से जितना डरोगे उतना ही वे ज्यादा भय दिखाती है और जोर पकडती है। यदि दुःख विपत्ति आये तो समझो इश्वर तुम्हारे साथ खेल कर रहे है । और यही समझकर दुःख में भी परम सुखी रहो ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
यदि किसी व्यक्ति मे सत्य ,पवित्रता और निःस्वार्थता- ये तीन बातें विद्मान हैं तो इस ब्रह्मांड में ऐसी कोई ताकत नही जो उसका बाल भी बाका कर सके । इन तीनों से सज्जित रहने पर मनुष्य सारे जगत का सामना कर सकता है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
किसी की सहायता की अपेक्षा न रखो । क्या भगवान सारी मानवी सहायता की अपेक्षा अनन्त गुने अधिक नही है ? भगवान में विश्वास रखो । सर्वदा उन्ही का भरोसा रखो और बस तुम्हारे पैर सदा ठीक मार्ग में पड़ेंगे ,फिर कोई भी चीज तुम्हारा सामना न कर सकेगी ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
खड़े होओ,साहसी बनो ,शक्तिमान होओ । सारा उत्तरदायित्व अपने कंधे पर लो ,तुम्हें जो कुछ बल और सहायता चाहिए सब तुम्हारे ही भीतर है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
मूर्खता को छोड कर हर हालत में आनंद का अनुभव करो । तुम्हें दुःख आ ही नही सकता । तुम दुःख को ग्रहण करते हो इसी से दुःख आता है । ग्रहण करना छोड दो फिर कोई भी दुःख तुम्हारे पास तक नही फटकेगा ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
याद रक्खों निश्चय ,श्रद्दा ,विश्वास और आत्मस्वरूप की स्मृति ही
तुम्हारी आत्मा की अनन्त शक्ति को प्रगट करने वाले चार महा द्वार हैं । इनकी शरण
ग्रहण करो इनका आश्रय लो ।
विपत्ति में धैर्य न खोकर जो लोग भगवद कृपा के विश्वास पर डटे रहते है और सत्य के पथ से जरा भी नही डिगते ,उनकी विपत्ति बहुत ही शीघ्र महान संपत्ति के रूप में बदल जाती है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
यह सदा ध्यान रहे की हर समय सदा शांत,स्थिर और आत्मनिष्ठ रहना तुम्हारा सर्व प्रथम कर्तव्य है । ऊपर से जो बातें तुम्हें बाधा और विलम्ब डालने वाली प्रतीत होती है वे वास्तव में तुम्हारी आंतरिक शक्ति और पवित्रता को बढ़ाने वाली है ।
किसी भी खराब से खराब परिस्थिति को ज्यादा वास्तविक मत समझो । ऐसी कौन सी परिस्थिति है जिसे तुम हटा नही सकते अथवा फूंक मारकर उड़ा नही सकते ? तुम निर्भय हो ,निर्भय हो ,निर्भय हो ऐसा द्रढ निश्चय रखो ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
किसी भी परिस्थिति में ऊपरी कठोरता और भयानकता में भयभीत नहीं होना चाहिए । कष्टों के काले से काले मेघ के पीछे पूर्ण प्रकाशमय,एक-रस परम सत्ता सूर्य की भांति सदा ही विद्मान है ।