Monday, 19 August 2013
Saturday, 17 August 2013
Tuesday, 13 August 2013
1155_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आपकी
उपासना चाहे
राम की हो
चाहे रहीम की,
कृष्ण की हो
चाहे
क्राइस्ट की,
महावीर की हो
चाहे बुद्ध
की, देवी की हो
चाहे देवता की
लेकिन उपासना
का फल है
राग-द्वेष का
कम होना। जगत
की इच्छाएँ,
वासनाएँ कम
होती जायें,
राग-द्वेष कम
होते जायें,
बिना इच्छा
वासनाओं के
निरामय स्वाद
के द्वार
खुलते जायें
यही सारी
साधनाओं और
उपासनाओं का
फल है।
सर्व
कर्माखिलं
पार्थ ज्ञाने
परिसमाप्यते।
राग-द्वेष
जब कम होता है
तब अन्दर ही
ज्ञान का दरिया,
सुख का सागर
छलकने लगता
है। मनुष्य
परम
स्वातन्त्र्य
का अनुभव करता
है।
-Pujya Asharam Ji Bapu